June Jubilee #VIII
Well, this post is by my Look-alike Sibling Nishtha (There'll be a lot of promotion links...don't forget to check them out!) Who came up as an utter surprise to me when she herself without my any help came up with a poem for the first time. This is not her first poem fyi but I find it one of her greatest creation. Hope you guys love reading this! जब तु साथ था मेरे पास था हर वक़्त तब कुछ ख़ास था पर अब जो तु साथ नहीं हर लम्हा मेरे लिये ख़ास नहीं लेकिन आज मैं यह कहती हूँ हर पल यह दर्द मैं सहती हूँ की मैंने क्यों यह कहा नहीं क्यों अपना मुँह खोला नहीं आज भी मुझे वह याद है कुछ अरसे पुरानी यह बात है जो भी बोला था मैंने तब वापस लेना चाहूँ अब खड़ी हूँ आज भी वहीँ तेरी याद में रोती हूँ आज भी वहीँ तेरे इंतज़ार में जानती हूँ तू न वापस लौटेगा मेरे दर्द को कभी न समझेगा लोग कहते है मैं बदल गई हाँ मैं तो अब संभल गई मेरा एक हिस्सा आज भी तेरे पास है आख़िरकार मेरी यादें...